क्या लडकी होना थी मेरी गलती ??
आई थी मैं इस दुनिया में,
लेकर मुट्ठी भर सपनों की,
पर अंजान थी इस बात से,
बाहर दुनिया थी हैवानो की
एक दिन ऐसा आया,
जब जील्लत उतारी गई मेरी इज्जत की,
चिखि थी मैं , चिल्लाई थी मैं,
माँगि भीक उनसे अपनी जिंदगी की,
सीसक सीसक, पैर पकड कर कहा उनको,
'मुझे छोड दो ' 'मुझे छोड दो',
तडप - तडप चिल्लाई थी मैं,
'मदत करो', 'कोई मेरी मदत करो',
सुनी ना मेरी भगवान ने तक,
हश्र देख मेरा काँप उठा आसमान तक,
आँखें मुंद लिए परिंदो ने उन,
मेरी चिखे तक हो गई थी सुन्न,
क्या थी मेरी गलती !
की छोड दिया उस आग मे जलती,
क्या इस दुनिया मे आना थी मेरी गलती?
या लडकी होना थी मेरी गलती ???
-Ishika