Tuesday, September 22, 2020

Shyri in hindi


जिंदगी ने सबक ऐसा सीखाया, 
की अब काँप उठती है रूह भी.... 
जहा मखमल सी राते थी और रेशम सी नींदे, 
काँटो से चूभ रहे अब सपने भी... 
वक्त ने रचाई ऐसी रंजीश, 
की दुआ देने से इंकार करदे कोई परिंदा भी... 
हो गए अपने तक खुद खुदगर्ज़ इतना, 
की अपना सा लगने लगा अब दुश्मन भी... 
अब तो उठ गया जिंदगी-ए-खुद से भरोसा, 
लगने लगा है अब तो ..
जाने कब साथ देना छोड दे खुद की परछाई भी ....


-Ishika

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