Tuesday, October 27, 2020

stree bhrun hatya

हाँ मैं भी जीना चाहतीं हू

मैं भी उन उड़ते पंछियों की तरह आसमान में उड़ना चाहतीं हू
मैं भी उस इन्द्रधनुष के रंग देखना चाहतीं हू
हाँ मैं भी जीना चाहती हू

मैं भी उन खेत खलियानों मे खेलना चाहती हू
मैं भी उस बरगद के झूले पर झूलना चाहतीं हू
हाँ मैं भी जीना चाहती हू....

मैं भी आपकी लोरी सुनकर सोना चाहती हूं
मैं भी सर्दियों में आपके लिए स्वेटर बुनना चाहती हूं
हाँ मैं भी जीना चाहती हू...

मैं भी मुस्कुराना चाहती हू
मैं भी झूमना चाहती हू
माँ बाबा मुझे ना मारो
हाँ मैं भी जीना चाहती हू 

-Ishika